श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान। काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी । प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।। अर्थ: पवित्र मन से इस पाठ को करने से भगवान शिव कर्ज में डूबे को भी समृद्ध बना देते हैं। यदि कोई संतान हीन हो तो https://shivchalisas.com